अगस्त 30, 2019 को भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 4 बड़े बैंकों में विलय करने की घोषणा की थी. इस विलय के बाद अब देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 हो गई है. आइये इस लेख में जानते हैं कि इस विलय की प्रक्रिया के बाद बैंकों की ताकत किस प्रकार प्रभावित होगी और यह विलय देश के विकास में किस प्रकार सहायक होगा?


भारत में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता को देखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मिलाकर 4 बड़े बैंकों के गठन को हरी झंडी दे दी है. इस विलय के पीछे मुख्य उद्येश्य देश के बैंकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाना है ताकि उनको प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके और देश के वित्तीय ढांचे को मजबूत किया जा सके.

इस विलय के बाद से भारत की बैंकिंग व्यवस्था में आये बदलावों को जानने के पहले जानते हैं कि आखिर विलय (Merger) किसे कहा जाता है?
विलय का अर्थ (Meaning of Merger):
विलय एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक कंपनियां आपसी विलय कर लेतीं हैं और एक नयी कंपनी का निर्माण करतीं हैं. ज्यादातर मामलों में कंपनी का नया नाम रखा जाता है लेकिन यह जरूरी नहीं है. जैसे आर्सेलर और मित्तल की कंपनी का विलय हुआ था तब आर्सेलर-मित्तल नाम की नई कंपनी बनायी गयी थी.

दो कंपनियों के विलय होने से एक नयी और मजबूत कंपनी का निर्माण होने से कंपनी की प्रतिस्पर्धी क्षमता का विकास होता है. विलय की प्रक्रिया में भाग लेने वाली कंपनियां ऋण दायित्व, संसाधन, प्रौद्योगिकी और संपत्ति आदि से संबंधित जानकारी एक दूसरे के साथ साझा करती हैं.

आइये अब चारों विलयों के प्रस्तावों के बारे में बारी-बारी से जानते हैं;
1. विलय नम्बर 1: ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) + यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (UBI) + पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (OBC) और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (UBI) का विलय पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में किया गया है. इस विलय के बाद अब शाखा नेटवर्क के मामले में भारतीय स्टेट बैंक के बाद PNB भारत का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक होगा. इसकी कुल शाखाएँ 11,437 होगी और पीएनबी का कुल कारोबार रु. 17.95 लाख करोड़ हो जायेगा.

2. विलय संख्या 2: सिंडिकेट बैंक + केनरा बैंक
सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में विलय कर दिया गया है इस विलय के बाद; केनरा बैंक भारत का चौथा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र होगा. केनरा का कुल कारोबार रु.15.20 लाख करोड़ और शाखाओं की संख्या 10,342 हो जाएगी.  इन दोनों बैंकों में समान कार्य संस्कृति है, इसीलिए इस विलय से ऑपरेशन लागत में कमी आएगी.
3. मर्जर नंबर 3: आंध्रा बैंक + कॉर्पोरेशन बैंक + यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय हो गया है. यह विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 5 वां सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक बना देगा. इस विलय से इन बैंकों का बिज़नेस 2 से 4 गुना तक बढ़ जायेगा. इस विलय के बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का कुल कारोबार रु. 14.59 लाख करोड़ जबकि कुल शाखाएं 9,609 हों जायेगीं.
4. विलय संख्या 4: इलाहाबाद बैंक + भारतीय बैंक
चौथे विलय में इंडियन बैंक का इलाहाबाद बैंक में विलय कर दिया जाएगा. विलय के बाद इलाहाबाद बैंक भारत का 7 वां सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक होगा. विलय के बाद इलाहाबाद बैंक का कुल कारोबार रु. 8.08 लाख करोड़ और शाखाओं की संख्या 6,104 हो जाएगी.
इन दोनों बैंकों के विलय के बाद इनका व्यापार का आकार दोगुना हो जाएगा जिससे उनकी वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी.
बैंकों के विलय के लाभ (Benefits of merging banks)
1.  विलय के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ऋण देने की क्षमता बढ़ जाएगी और उनकी बैलेंस शीट भी मजबूत होगी.
2. ये बड़े बैंक विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और अपनी ऋण देने की लागत को कम करके परिचालन क्षमता को बढ़ाने में भी सक्षम होंगे.
3. भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए भारी मात्रा में निवेश की आवश्यकता है. अगर बैंकों के पास बड़े प्रोजेक्ट को लोन देने की सुविधा होगी तो इससे देश का आर्थिक विकास तेज होगा.
इसलिए चार प्रमुख बैंकों में 10 सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों का विलय देश के विकास में महत्ती भूमिका अदा करेगा. उम्मीद है कि इस बैंकिंग क्षेत्र के सुधार जल्दी ही अर्थव्यवस्था में दिखाई देने शुरू हो जायेंगे.

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